Monday, 22 November 2021

हिंदू लड़की ने मानी संत की बात, तोड़ी मुस्लिम से शादी

 

कर्नाटक में संत ने लड़की को मुस्लिम से शादी नहीं करने के लिए मनाया.. 

अभी दो दिन पहले ही कर्नाटक के मेंगलुरु में हिंदू लड़की जो पेशे डॉक्टर थी और साथ में काम करने वाले एक दूसरे डॉक्टर जो मुस्लिम धर्म से था । दोनो साथ में काम करने के कारण कम समय में ही प्यार के चक्कर में पड़ गया। दोनों के बीच प्यार इस कदर हावी हुआ कि वो डाक्टर लड़की अपने मां बाप की भी बात नहीं मानी। उसके जिद्द के आगे घर वाले झुक गए थे और मैं मुस्लिम लड़के के साथ शादी करने की अनुमति दे दी। यहां तक कि शादी कार्ड भी छप गया था।



इस बात की खबर जब एक स्थानीय हिंदू संत वज्रदेही महाराज जी को लगी तब वह
लड़की के घर गए और उस को हिंदू धर्म के बारे में समझाया,उसने अपना निर्णय त्याग दिया। संत महोदय ने अपने साथ लाए पवित्र जल से उस लड़की को आचमन कराया।

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अब समय आ गया है कि हमारे धर्म गुरु समाज के धर्म के लिए आगे आये। धर्म रहेगा तभी गुरु या पुजारी रहेंगे।

हिन्दु धर्म की महत्ता और समावेशी विषेशता

संत समाज का मुख्य कार्य समाज को जागृत करना ही है जिससे, हमारी संस्कृती बनी रहे। राष्ट्र निर्माण में अच्छे नेताओं के साथ साथ इन  संतो की अहम भूमिका होती हैं।

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ऐसे ही वज्रदेही महाराज जी जैसे संतों की
भारत के हर शहर ओर गांवों में जरुरत हैं ।
ऐसे संत को बारंबार प्रणाम जिन्होंने एक हिंदू परिवार को उजड़ने से बचाया है उनको  दिल से धन्यवाद प्रकट करने की जरूरत है और लड़कियों से विनती करते हैं कि मुस्लिम लड़कों से दूर रहें वरना तुम्हारा आने वाला कल अंधेरे में और तुम्हारे जीने की वह चाहत खत्म ही हो जाएगी । 

इस्लाम में नारी का स्थान सिर्फ भोगविलास की वस्तु के रूप में है, कुरान में लिखा है कि एक मर्द चार औरतों के बराबर होता है, मरने के बाद एक मर्द को संभोग के लिए 72 औरतें मिलती हैं, जबकि हिंदू धर्म में नारी को ईश्वर का रूप माना गया है ।

ये होते हैं सच्चे संत समाज को समाज के लोगों को गलती करने से रोकने वाले सही दिशा और मार्गदर्शन देने वाले महपुरूषों की सानिध्य की आवश्यकता है। लेकिन यहां तो कुछ संत व्यास अपने प्रवचन के दौरान  अली मोला अली मौला और वेदों की तुलना आसमानी किताबों से करने से फुर्सत ही नहीं मिलती।

आप जानते है कि विवाह, जिसे शादी भी कहा जाता है, दो लोगों के बीच एक सामाजिक या धार्मिक मान्यता प्राप्त मिलन है जो उन लोगों के बीच, साथ ही उनके और किसी भी परिणामी जैविक या दत्तक बच्चों तथा समधियों के बीच अधिकारों और दायित्वों को स्थापित करता है।
 लड़कियां या लड़के कितने भी पढ़ लिख जाए , कितने भी बड़े ओहदे पर चला जाए । अगर मां बाप ने बचपन में अच्छे संस्कार नही दिए है तो निश्चित ही आगे चलकर ये बच्चे नासमझ और उद्दंड हो जायेगा। और बाद में उन्हें ही पछताना पड़ेगा।



आज कल की लड़के और लड़कियों को मालूम ही नहीं है शादी एक संस्कृति के अंदर अच्छे से फलते फूलते है। अगर शादी दूसरे धर्म या संस्कृति में कर दी जाए तो एक समय के बाद ऊब पैदा करता है ।और परेशानी का सबब बन जाता हैं। 

केवल हिंदू धर्म में ही ईश्वर की परिकल्पना नारी के रूप में की गई है बाकी किसी धर्म में नहीं,

दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती सभी ईश्वर का रूप मानी जाती है। लेकिन यह बात अलग है कि आज के सिनेमा, इंटरनेट के भौतिकतावादी युग में नारी अपना स्थान खो बैठी है ।

हमारे बीच की लडकियो को इतने सारे उदाहरण देख कर भी नहीं समझ आ रहा है ये सबसे बड़ी चिंता का विषय है टीना डाबी IAS है जिन्होंने भी बाद में ये बात समझी ।


मुझे लगता है  लव जिहाद मामलों में लड़कियों की गलती तो है ही साथ ही साथ उनके परिवार की भी भूमिका कम नहीं है बच्चे को डॉक्टर ,इंजिनियर बना सकते हैं लेकिन अपने धर्म और कर्म के बारे में नहीं बता रहे है ।


परिवार, ग्राम,समाज,राष्ट्रऔर भारत वर्ष के धर्म,संस्कृति के उत्थान में महात्माओं की अग्रणी भूमिका है ।


संत न होते तो जल मरता संसार, तभी तो कहा जाता है कि जो कार्य एक संत कर सकता है वो कोई दूसरा नही कर सकता, ऐसे संतो की जरूरत हर जगह है जो अपने संस्कृति और सभ्यता के बारे में जानकारी दे सके ।


आप लव जिहाद के बारे में जानते होंगे जिसे रोमियो जिहाद के रूप में भी जाना जाता है। कुछ धार्मिक संगठनों के अनुसार यह एक इस्लामोफोबिक षड्यंत्र सिद्धांत है । षड्यंत्र सिद्धांत में मुस्लिम पुरुष हिंदू महिलाओं को इस्लाम में धर्मांतरण के लिए प्रलोभन,  प्रेम का दिखावा, धोखे, अपहरण और विवाह, के माध्यम से लक्षित करते हैं। भारत के खिलाफ मुसलमानों द्वारा "युद्ध", और एक संगठित अंतरराष्ट्रीय साजिश, जनसांख्यिकीय विकास और प्रतिस्थापन के माध्यम से वर्चस्व के लिए अपनाया गया है।  इसका मामला अपने भारत ने बहुत जगह देखा गया है। इसपर सरकार और कोर्ट के द्वारा भी कानून बनाकर नियंत्रित करने की भी कोशिश किया गया है। 


पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की बेंच एक 18 साल की मुस्लिम लड़की और 25 साल के हिंदू लड़के की याचिका पर सुनवाई कर रही थी । दोनों ने हाल ही में एक हिंदू मंदिर में शादी की है । कोर्ट ने कहा कि लड़की के हिंदू धर्म अपनाने तक शादी अमान्य होगी। हालांकि दोनों वयस्क हैं तो आपसी सहमति से दोनों साथ रह सकते हैं !


कई राज्य सरकारें भी इस संबंध में कानून बना चुकी है । यूपी-एमपी और हरियाणा के बाद गुजरात में भी लव जिहाद रोकने का कानून बन चुका है। पहले युवा जोश में युवक और युवती शादी तो कर लेते हैं लेकिन बाद में उनके घर और परिवार के दबाव भी झेलने पड़ते है। खान पान भी बदल जाता है। ऐसे में लड़का और लड़की प्रताड़ित होकर तलाक लेने को बाध्य होना पड़ता हैं और खासकर लड़की की जिंदगी बर्बाद हो जाता हैं।

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