Thursday 5 October 2023

जीवित्पुत्रिका व्रत किस दिन करें, काशी हिन्दु विश्वविद्यालय वाराणसी ज्योतिष विभागाध्यक्ष का आ गया निर्णय

 जीवित्पुत्रिका व्रत किस दिन करें, काशी हिन्दु विश्वविद्यालय वाराणसी ज्योतिष विभागाध्यक्ष का आ गया निर्णय

जीवित्पुत्रिका के संदर्भ में असमंजस को दूर करने हेतु वाराणसी में विद्वतगणों की बैठक में काशी हिन्दु विश्वविद्यालय वाराणसी ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो चन्द्रमा पाण्डेय व प्रो चन्द्रमौली उपाध्याय व काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद व सम्पूर्णान्द संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो नागेन्द्र पण्डेय व युवा ब्रामण चेतना मंच के संयोजक डा शुभाष पाण्डेय व पंडित अखिलानन्द मिश्र ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के आचार्य राकेश कुमार मिश्र ज्योतिषाचार्य के द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सप्तमी विद्धा अष्टमी का त्याग करते हुए उदय कालीन अष्टमी में 7 अक्टूबर को जीवित्पुत्रिका व्रत शास्त्र सम्मत है। 


बैठक में विद्वतजन ने कहा कि ज्योतिष शास्त्र से पंचाग है न की पंचाग से ज्योतिष शास्त्र ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है की सप्तमी युक्त अष्टमी करने पर सात जन्मो तक बन्ध्या और बार-बार विधवा होना परता है । अतः 7 अक्टूबर को व्रत कर 8 अक्टुबर को सुर्योदय के बाद पारण करे। जितिया के नहाय खाय 6 अक्टूबर को होगा।


जितिया व्रत का पूजा कैसे किया जाता है?

जितिया व्रत पूजा विधि: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें। इसके लिए कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें. इस व्रत में मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है।


जितिया व्रत किसका है?

ज‍ित‍िया पर्व संतान की सुख-समृद्ध‍ि के ल‍िए रखा जाने वाला व्रत है। इस व्रत में पूरे दिन न‍िर्जला यानी क‍ि (बिना जल ग्रहण क‍िए ) व्रत रखा जाता है। यह पर्व उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल के मिथिला और थरुहट में आश्विन माह में कृष्ण-पक्ष के सातवें से नौवें चंद्र दिवस तक तीन द‍िनों तक मनाया जाता है।


जितिया में किस भगवान की पूजा की जाती है?

उन्होंने यह भी कहा कि जितिया व्रत को जीवित पुत्रिका व्रत के रूप में जाना जाता है, जहां जीवित वाहन के भगवान की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि यह पूजा व्रत करने वाली महिला के बच्चों को लंबी आयु, स्वास्थ्य, सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करती है।


जितिया में क्या खाना चाहिए?


वे व्रत रखते हैं और शाम को आठ तरह की सब्जियां, अरुआ का चावल और मड़ुआ की रोटी खाते हैं। वे आठवें दिन उपवास करते हैं। आठवें दिन, वे आंगन या अखरा में जितिया (पवित्र अंजीर) की एक शाखा लगाते हैं। वे पुआ, ढूसका बनाते हैं और एक टोकरी में आठ प्रकार की सब्जियां, फूल और फल रखते हैं।

बिहार में जितिया त्योहार क्या है?

जीवित्पुत्रिका व्रत 2023: जितिया व्रत एक शुभ त्योहार है जिसे सभी माताएं मनाती हैं । वे अपने बच्चों की सलामती के लिए व्रत रखते हैं। इस दिन को जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से भारत के बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है।


जितिया व्रत में क्या क्या सामग्री लगती है?

जीवित्पुत्रिका व्रत में खड़े अक्षत(चावल), पेड़ा, दूर्वा की माला, पान, लौंग, इलायची, पूजा की सुपारी, श्रृंगार का सामान, सिंदूर, पुष्प, गांठ का धागा, कुशा से बनी जीमूत वाहन की मूर्ति, धूप, दीप, मिठाई, फल, बांस के पत्ते, सरसों का तेल, खली, गाय का गोबर पूजा में जरूरी है।


जितिया के पीछे की कहानी क्या है?

जिउतिया व्रत की पौराणिक कथाः

एक दिन भ्रमण करते हुए उन्हें नागमाता मिली, जब जीमूतवाहन ने उनके विलाप करने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि नागवंश गरुड़ से काफी परेशान है, वंश की रक्षा करने के लिए वंश ने गरुड़ से समझौता किया है कि वे प्रतिदिन उसे एक नाग खाने के लिए देंगे और इसके बदले वो हमारा सामूहिक शिकार नहीं करेगा।


लोग जितिया पर उपवास क्यों करते हैं?

जितिया 2023 मुहूर्त


जितिया को छठ पूजा की तरह ही मनाया जाता है। माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और धन-संपदा के लिए व्रत रखती हैं और कुछ लोग संतान प्राप्ति के लिए भी व्रत रखते हैं। माताएं निर्जला व्रत रखती हैं यानी व्रत के दौरान कुछ भी नहीं खाती-पीती हैं।

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